''संगीत- दर्पण'' के लेखक दामोदर पंडित (सन १६२५ ई .)के मतानुसार ,संगीत की उत्पत्ति वेदों के निर्माता ,ब्रह्मा द्वारा ही हुई ।ब्रह्मा ने जिस संगीत को शोधकर निकाला ,भारत मुनि ने महादेव के सामने जिसका प्रयोग किया ,तथा जो मुक्तिदायक है वो मार्गी संगीत कहलाता है|
इसका प्रयोग ब्रह्मा के बाद भारत ने किया ।वह अत्यंत प्राचीन तथा कठोर सांस्कृतिक व धार्मिक नियमों से जकड़ा हुआ था ,अतः आगे इसका प्रचार ही समाप्त हो गया ।
एक विवेचन में सात स्वरों की उत्पत्ति पशु-पक्षियों द्वारा इस प्रकार बताई गयी है :
मोर से षडज (सा)
चातक से रिशब (रे)
बकरे से गंधार (ग )
कौआ से मध्यम (म)
कोयल से पंचम (प)
मेंडक से धैवत (ध)
हाथी से निषाद (नि)
स्वर की उत्पत्ति हुई ।
एक मात्र मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो सातों स्वरों की नाद निकाल सकता है ...!
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