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Saturday, September 3, 2011

स्वरोज सुर मंदिर ...(1)

स्वर्गीय श्रीमती सरोज अवस्थी.
मैं सरोज तुम अम्बुज मेरे ...
सरू से दूर कमल मुरझाये ...
ईमन यमन राग बिसराए ..
यमन राग मेरी  तुमसे है ........
निश्चय ही ........!!!!
मध्यम तीवर सुर लगाऊँ .........
जब लीन मगन मन सुर  साधूँ ....
तुममे खो जाऊं ...
आरोहन -अवरोहन सम्पूरण ......!!
अब रात्री का प्रथम प्रहर..
हरी भजन में ध्यान लगाऊँ .....!!
श्वेत कमल...
सब से पहले श्री मनोज जी का हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहती हूँ जिन्होंने मुझे प्रेरित किया इस श्रंखला को प्रारंभ करने के लिए |
अब मेरी माँ, जिनका नाम श्रीमती सरोज अवस्थी था ,उनके नाम''सरोज '' में, अपने स्वरों को जोड़ कर ,मैंने अपने इस सुर मंदिर का नाम ''स्वरोज सुर मंदिर ''रखा है |माँ तो अब इस दुनियां में नहीं हैं |विदुषी थीं ...संस्कृत की ज्ञाता थीं |हम लोगों से घिरी रहकर ही वो खिली खिली रहती थीं ...!!बिलकुल इसी श्वेत ,स्निग्ध कमल की तरह ....!!-देखिये न ..उसकी परछाईं भी पानी में कितनी साफ़ दिख रही है ...!!ऐसी ही निश्छल -उज्जवल  थीं वो ...!!जो कविता मैंने उनपर लिखी है वो उनके पूरे जीवन का निचोड़ ही कहती है ....!!माँ को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ,उन्हें नमन करते हुए मैं इस श्रंखला को प्रारंभ कर रही हूँ |इस श्रंखला में समय समय पर आपको स्वरों से सम्बंधित   जानकारी देती रहूंगी |मेरी कोयल को भी धन्यवाद -उससे ऐसा नाता जुड़ा है मेरा .... मैं जहाँ भी जाती हूँ मेरा स्वरोज सुर मंदिर मेरे साथ साथ रहता है हमेशा........! प्रभु की असीम कृपा है |
                  संध्या दीपक का समय .....शाम सात बजे ...रात्री का प्रथम प्रहर शुरू होता है ....कानो में मुझे तानपुरे की वो अद्भुत नाद सुनाई देती है ......जो ह्रदय के तार  झंकृत कर देती है और ...सहज ही मन  इश्वर से जोड़ देती है |माँ की याद में संध्या दीपक जलाते हुए आज मैं ''राग यमन''  की चर्चा कर रही हूँ  |क्योंकि वो इसी समय का राग है |
|मुग़ल काल में ईमन से अब ये यमन हो गया है |इसमें मध्यम (म )तीव्र स्वर प्रयोग किया जाता है |इसके गायन का समय -रात्री का प्रथम प्रहर है|सम्पूर्ण जाती का राग है |अर्थात सभी स्वरों का -सातों स्वरों का प्रयोग इस राग में किया जाता है |कोई भी स्वर वर्जित नहीं है |कल्याण ठाट का राग है |अभी मैंने आपको एक संक्षिप्त परिचय -राग यमन   का दिया है |आगे की श्रंखलाओं में इन्ही बातों  की चर्चा करती रहूंगी जिससे कि आप इस परिचय का अर्थ भी समझ सकें | 
            संगीत की बातें समझाना बहुत सहज नहीं है |ये एक ऐसी विधा है जो जन्म जन्मान्तर तक हमारे पास ही रहती है |और इसको समझाने के लिए भी लम्बा वक्त चाहिए |मैं उम्मीद करती हूँ आप भी इस विधा से धीरे धीरे वाबस्ता हो जायेंगे |प्रथम परिचय के लिए आज इतना ही काफी है |
आपसे विनती है ....कोई भी जानकारी राग यमन पर आप मेरे साथ बाटना चाहें ....स्वागत है |

A TRIBUTE TO MY MOTHER.

रश्मि दी का आभार ..जिन्होंने मुझे प्रेरित किया ये नया सिर्फ संगीत से सम्बंधित ब्लॉग बनाने के लिए...... 

3 comments:

  1. सगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ...इनका स्रोत एक ही है किन्तु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं ...इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने ये नया ब्लॉग शुरू किया है ताकि दोनों को अपना समय दे सकूं ...!!आशा है आप मुझे ढूंढ लेंगे....!!

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  2. ये बहुत अच्छा किया आपने। इस ब्लॉग पर संगीत की विस्तृत जानकारी मिला करेगी।
    शुभकामनाएं।

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  3. bhut acha kiya aapne.shayad hmen bhi kuch nya milega.

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