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Thursday, March 15, 2012

संगीत में काकु.....



भिन्न कंठ ध्वनिर्धीरै: काकुरित्यभिदीयते |

ब्रह्मकमल ..

अर्थात-कंठ की भिन्नता से ध्वनी में जो भिन्नता पैदा होती है ,उसे 'काकु' कहते हैं ।ध्वनी या आवाज़ में मनोभावों को व्यक्त करने की अद्भुत शक्ति होती है ।कंठ में जो ध्वनि- तंत्रियाँ हैं उसके स्पंदन से ध्वनी निकलती है ।
ध्वनि में मनोभावों को व्यक्त करने की विचित्र शक्ति है |शोक,भय,प्रसन्नता,प्रेम आदि भावों को व्यक्त करने के लिए जब ध्वनि या आवाज़ में भिन्नता आती है ,तब उसे काकु कहते हैं |'काकु 'का प्रयोग मनुष्य तो करते ही हैं ,पशुओं में भी 'काकु ' का प्रयोग भली-भाँती पाया जाता है |उदाहरणार्थ ,एक कुत्ता जब किसी चोर के ऊपर भौंकता है ,उसकी ध्वनि में भयंकरता होती है ;वही कुत्ता जब अपने मालिक के साथ घूमने की व्यग्रता प्रकट करता है तो उसकी ध्वनि या काकु  बदल जाती है |
     पशुओं की अपेक्षा मानव जाती में काकु  का प्रयोग विशेष रूप से पाया जाता है |एक शब्द है-जाओ |इस शब्द को काकु  के विभिन्न प्रयोगों  से देखिये ....मालिक नौकर से कहता है जाओ ...आज्ञा भाव,
माँ अपने बच्चे को मना  कर स्कूल भेजती है ...थोड़ा लाड़,प्यार या मानाने का भाव |इस प्रकार कई जगह काकु  का प्रयोग होता है |इसी प्रकार गायन में भी काकु  का प्रयोग होता है |काकु  के सुघड़ प्रयोग से भाव प्रबल गायकी होती है |संगीत को करत की विद्या कहा जाता है |अर्थात कुछ बातें एक गुरु ही अपने शिष्यों को सिखा पाते  हैं |...!स्वरों को किस प्रकार लेना कि भाव स्पष्ट हों ...ये संगीत में बहुत ज़रूरी है |कभी कभी एक ही गीत दो भिन्न लोगों से सुनने पर प्रभाव अलग होता है ।यही काकु का प्रभाव है ।
नाटक में भी काकू का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है ...!तो इस प्रकार काकु  के अंदर एक विचित्र शक्ति है ,जिसके द्वारा भावों की अभिव्यंजना में स्निग्धता,माधुर्य तथा  रस की सृष्टि होती है |संगीत के लिए तो काकु  का प्रयोग बहुत ही महत्व रखता है |

11 comments:

  1. एक शब्द की हर भाव में अलग अभिव्यक्ति।

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    1. शब्द को स्वर हम कैसे दें ताकि मन आन्दोलित हो सके ....और जुड़ जाये उस संगीत की धारा में जो धारा प्रभु तक जाती ही है ...ये मेरा अखंड विश्वास है ....!
      आभार प्रवीन जी .

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  2. मुझे जो समझ आया वो ये है कि काकू voice modulation की तरह कुछ है...

    या मैं गलत हूँ?
    :-)

    समझ आएगा धीरेधीरे...
    सादर.

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    1. बिलकुल सही अनु .....ये voice modulation ही है |बहुत आभार .

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  3. अपने अंदर के काकु को बाहर निकालने का प्रयत्न शुरू है।

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    1. वही तो सबसे सार्थक और सारगर्भित प्रयास है मनोज जी |आपका वही प्रयास आपको एक आत्मिक संतुष्टि देता है ...और बहुत लोगों के लिए प्रेरणा बन जाता है |
      आभार

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    2. बहुत सुन्दर, बधाई.

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    3. आभार शुक्ल जी ...!!

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    4. kaku k kitne prakar hote hai ?

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  4. बहुत सुंदर मैम काकू के भेद भी बता दिजिए मैम

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