नमस्कार आपका स्वागत है

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Tuesday, July 23, 2013

कैसी बाज रही कान्हा की बांसुरिया .......!!!

बरखा की बुंदियां बरस रही हैं ......
ठंडी पावन बह रही है ....
पत्ते मानो करतल ध्वनि से इस मौसम का स्वागत कर रहे हैं .......
धरा मे कुछ नवीनता का संचार हो रहा है ..........
पाखी हैं कि भीग भीग कर कलाबाज़ियाँ कर रहे हैं ....
इन्हीं पाखियों के साथ मेरा मन उड़ा जा रहा है ....
 अनंत  उड़ान है ये ....
वर्षा में भीगती हुई ......
न जाने कहाँ जा रही हूँ मैं ......
कोई दैविक शक्ति निरंतर अपनी ओर खींच रही है ....
बेबस खींची चली जा रही हूँ मैं ....
अचरज है .....कानो में सुनाई दे रहा है .....कुछ सुकून भरा संगीत ....
जैसे कान्हा बासुरी बाजा रहे हैं ......

क्या आप भी सुन पा रहे हैं ....या मेरा ही भ्रम है .....????????



3 comments:

  1. टप टप टिप टिप कर स्वर निनाद, जय वर्षा देवी जाप रहे सब।

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  2. वर्षा के संग झूम रहा मन..
    सुनकर प्रकृति का संगीत..
    'अनुपम' मन भी डोल रहा है..
    सुनकर कान्हा के मन-गीत..

    सुनाई पड रहे हैं हमें भी वो गीत और संगीत अनुपमा जी..

    सुप्रभात.. एक अरसे बाद पुन: टिप्पणी देने का प्रयास कर रहा हूँ...देखते हैं पोस्ट हो पाती है अथवा नहीं..

    शुभ दिवस..

    सादर..

    दीपक शुक्ल..

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