सगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ...इनका स्रोत एक ही है किन्तु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं ...इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने ये नया ब्लॉग शुरू किया है ताकि दोनों को अपना समय दे सकूं ...!!आशा है आपका सहयोग मिलेगा.......!!
नमस्कार आपका स्वागत है
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Tuesday, July 1, 2014
प्रहलाद सिंग टिप्पानिया (भाग -2)
आईये अब आपको प्रह्लाद जी का दूसरा भाग सुनवाते हैं ...
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