सगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ...इनका स्रोत एक ही है किन्तु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं ...इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने ये नया ब्लॉग शुरू किया है ताकि दोनों को अपना समय दे सकूं ...!!आशा है आपका सहयोग मिलेगा.......!!
नमस्कार आपका स्वागत है
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Friday, May 2, 2014
प्रहलाद सिंह तिपाण्या जी का गाया कबीर ...
...गुरु वंदना .........अत्यंत आह्लादकारी ....समय निकाल कर पूरा सुनिए .....
अद्भुत । गायन में कबीर की रचनाओं जैसा ही फकीराना अन्दाज ।
ReplyDeleteवाह...!! बहुत आनंद आ रहा है इसे सुनने में ! पूरा सुन नहीं पायेंगे लेकिन सुनेंगे जरूर..सच में अद्दुत !
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