आज राग भूपली की कुछ नायाब बन्दिशें हैं .....!!यह कल्याण ठाट का राग है !गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर है | जाती औडव है क्योंकि आरोह-अवरोह में सिर्फ पाँच स्वरों का प्रयोग है |सोच रही हूँ भूपाली की बहुत सारी बन्दिशें सुना कर थोड़ा राग से आपको अवगत कराऊँ ....!!
आरोह: सा रे ग प ध सां
अवरोह: सां ध प ग रे सा ॰
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