सगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ...इनका स्रोत एक ही है किन्तु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं ...इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने ये नया ब्लॉग शुरू किया है ताकि दोनों को अपना समय दे सकूं ...!!आशा है आपका सहयोग मिलेगा.......!!
नमस्कार आपका स्वागत है
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Friday, August 26, 2016
राग यमन !!
ढलती हुई साँझ की कोमलता
स्वरों की उड़ान
पंखों में भरा सारा विहान
ठहरे हुए पल ..
पल छिन ,
स्वरों की साध लिए ..
आ ही पहुंचे मुझ तक......
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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