सगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ...इनका स्रोत एक ही है किन्तु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं ...इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने ये नया ब्लॉग शुरू किया है ताकि दोनों को अपना समय दे सकूं ...!!आशा है आपका सहयोग मिलेगा.......!!
नमस्कार आपका स्वागत है
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Thursday, September 22, 2016
हेली म्हारी
अद्भुत हैं आज के गीत ....!!
भीड़ से पुनः एकांत की ओर ...
नाद से ज्यूँ अनहद की ओर ...
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