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Sunday, August 26, 2012

सामवेदकालीन संगीत .....!!



वैदिक युग भारत के सांस्कृतिक इतिहास में प्राचीनतम माना जाता है |इस युग में चार वेदों का विस्तार हुआ |जिनके नाम हैं-ऋगवेद ,यजुर्वेद,अथर्ववेद और सामवेद |इनमें ऋगवेद विश्व का प्रचीनतम ग्रंथ है जिसमें संग्रहीत मंत्रों को ऋक या हिन्दी में ऋचा कहते हैं |सभी मंत्र छंदोबद्ध हैं जिनमे विभिन्न देवताओं की स्तुतियाँ उपलब्ध होती हैं |
यजुर्वेद छंदोबद्ध नहीं है तथा उसमे यज्ञों का विधान है|
अथर्ववेद में सुखमूलक   एवम कल्यानप्रद मंत्रों का संग्रह तथा तांत्रिक विधान दिया गया है |
सामवेद  मंत्रों का गेय रूप है |ऋगवेद को अन्य वेदों का मूल बताया गया है |

जब किसि वाक्य का स्वरहीन उच्चारण किया जता है तो उसे वाचन कहते हैं |यदि वाक्य मे ध्वनि ऊँची-नीची तो हो लेकिन स्वर अपने ठीक स्थान पर ना लगें तो इस क्रिया को पाठ कहते हैं |और जब किसि वाक्य को इस ढंग से गाया जये कि उसमे स्वर अपने ठीक ठीक स्थान पर लगें तो उस क्रिया को गान कहते हैं |इसलिये  संगीत के विद्यार्थी को बताया जाता है कि संगीत का मूल सामवेद (ऋग्वेद का  गेय रूप है )....!
वेद का पाठ्य रूप उन लोगों के लिये उपयोगी है ,जो नाट्य के विद्यार्थी हैं |

पाठ्य का मूल ऋग्वेद ,
गीत का मूल सामवेद ,
अभिनय का मूल यजुर्वेद ,
तथा ...
रसों का मूल अथर्ववेद में है |

17 comments:

  1. वाचन, पाठ, गान, सुन्दर अन्तर..

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  2. पाठ्य का मूल ऋग्वेद ,
    गीत का मूल सामवेद ,
    अभिनय का मूल यजुर्वेद ,
    तथा ...
    रसों का मूल अथर्ववेद में है |... इस जानकारी से रूबरू एक धुन ही करवा सकती है

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  3. संक्षेप में बढ़िया जानकारी।

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  4. वाह ... नवीन जानकारी है हमारे लिए तो ... सुन्दर वर्णन ...

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  5. इतनी दुर्लभ जानकारी के लिये धन्यवाद अनुपमा जी ! यह पोस्ट निश्चित रूप से संग्रहणीय है ! आभार आपका !

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  6. उत्तम जानकारी..

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  7. gyanvardhak aur upyogi jaankari Anupamaji ....saabhar!!!

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  8. बहुत बढ़िया जानकारी दी है .... आभार

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  9. नमस्कार,
    वेदोँ के बारे मेँ संक्षेप मेँ इतनी सटीक और ज्ञानवर्धक जानकारी देने के लिए आभार ।
    एक संग्रहणीय लेख....।

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  10. वेदों की व्याख्या सुलझे तरीके से समझाने का आभार ।

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  11. इतनी दुर्लभ जानकारी के लिये धन्यवाद अनुपमा जी ! यह पोस्ट निश्चित रूप से संग्रहणीय है ! आभार आपका ! वेदों की व्याख्या सुलझे तरीके से समझाने का आभार ।

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  12. खूबसूरत और दुर्लभ जानकारी के लिए आभार।

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  13. श्रीमती अनुपमा त्रिपाठी जी को ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय का सादर प्रणाम
    मै अभी एक नया ब्लागर हूँ और एक छोटा सा प्राइमरी स्कूल का प्रबन्धन देखता हूँ प्रबंधन के साथ ही अध्यापन का काम भी देखता हूँ।आज अपने घुमंतु स्वभाव के कारण से आप जैसे महान लोगों के ब्लाग पर आ गया और ज्ञान की बातें देख ज्ञानेश की ज्ञान पिपासा जाग उठी ।अभी तक वेदों के बारे में सुना था कभी कभी आर्य समाजी लोगों के पास बैठ कर वेद मंत्रो को सुन लिया था किन्तु जैसी जानकारी आपके ब्लाग पर मिली है सच कहूँ आनन्द विभोर हो गया हूँ शायद लगातार आना पड़ा करेगा। आगे मेरे आयुर्वेद विषय पर कई ब्लाग है अगर आपके पास कोई इस विषय से जुड़ी कोई जानकारी है तो पाठकों के हित के लिए कृपया उसे मेरे ब्लाग पर देने की कृपा करें और कभी मेरे ब्लाग पर भी आऐं आपका तथा अन्य ब्लागरों व पाठको का हार्दिक अभिनन्दन है।योग्य राय भी प्रदान करें में आपका आभारी रहूँगा।
    http://ayurvedlight.blogspot.in व http://ayurvedlight1.blogspot.in तथा
    http://rastradharm.blogspot.in

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