नमस्कार आपका स्वागत है

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Tuesday, November 11, 2014

सुनता है गुरु ज्ञानी ....

अनायास उदास है मन !!एक प्रश्न घूम रहा है मन मे .....!!
जी रहा किस हेतु जीवन ....जोड़ मन का सेतु रेमन ........!!
अविरल अश्रुधार बस रुकी हुई बहने को अँखियों के कोरों पर !!तोड़ सारे बांध ,बहने को .....आकुल .........कुछ कहने को व्याकुल ......
फिर भी आज मौन चुनता है ये मन !!
बस आँख बंद और बहता  जाता है कुमार जी की आवाज़ के साथ ......
एक अजीब सी विश्रांति पाता है ..........जाने किस लोक का भ्रमण है ये ....








2 comments:

  1. मन के तार झंकृत करता ...

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  2. अद्भुत संगीत...मन को गहराई तक छूती पंक्तियाँ...

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