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Saturday, July 6, 2013

वर्षा ऋतु-राग मियां मल्हार ....(.1.)....!!!


इस वर्षा ऋतु मे आपको राग मल्हार के बारे मे विस्तृत जानकारी दूँगी और इसी राग की अनेक बन्दिशें सुनवाऊंगी |
आप जानते ही होंगे राग मिया मल्हार वर्षा ऋतु का राग है |वर्षा ऋतु मे आप इसे किसी भी समय गा -बजा सकते हैं |

नदी हूँ मैं....
गिरती है ये बरसात
कुछ इस क़दर मुझ पर ...
भीगती  हूँ भरी बरसात रो भी लेती  हूँ ...

O 


मिल जाता है इसी बरखा में
मेरे आंसुओं का खारा  पानी .........
और इस तरह ...
पहुँच ही जाती है मेरी सदा  समुंदर तक ......


संवेग ,संवेदन और सिद्धान्त का ज्ञान रखने वाला कलाकार सदैव सफल रहता है ,क्योंकि उसका संगीत श्रोता को तन्मय करने की क्षमता रखता है |

राग मियां मल्हार मेँ स्वरों का प्रयोग इस प्रकार है ...........कि सुन कर ही बारिश का सा एहसास होता है ......मन भीग जाता है ....!!
म ...रे ...प $$$$$$  ग    $$$$$$$  म रे सा ....!!

नि$$$  ध  नी सा .....!!

इस प्रकार स्वरों  का प्रयोग किया जाता है ....!!






बंदिश सुनिए और बरखा का आनंद लीजिये ....

आभार .....

7 comments:

  1. वाह.....
    मिल जाता है इसी बरखा में
    मेरे आंसुओं का खारा पानी .........
    और इस तरह ...
    पहुँच ही जाती है मेरी सदा समुंदर तक ......

    मधुर मधुर पोस्ट....
    आभार
    अनु

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  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।

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  3. बहुत सुन्दर, शब्द और संगीत का सुमधुर क्षेत्र..

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  4. जैसे गर्द लगे मटमैले पत्ते वर्षा के तुरंत बाद खिलते - मुस्कुराते हुए साफ़ दिखायी देने लगते हैं ,वैसे ही मन शांत और प्रसन्न हो गया है .प्रभु आपके हुनर को बुलंदियां प्रदान करे .

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  5. बहुत खूबसूरत और मधुर.....
    साभार....

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  6. राग मियाँ की मल्हार का मानवीकरण करती प्रस्तुति .बंदिश का भी ज़वाब नहीं -


    उमड़ घुमड़ कर बरसन आयो मेघा .....

    नए सन्दर्भ दे दिए आपने बरसात को यहाँ कैंटन (मिशिगन )में कई दिनों से बारिश थी .मैं अभी लौटा हूँ हेंज फाल्स ,न्युयोर्क के स्थित पीस विलेज से सेमीनार करके .

    ॐ शान्ति .सुकून दे रही है यह बंदिश .शुक्रिया आपका .

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