सगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ...इनका स्रोत एक ही है किन्तु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं ...इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने ये नया ब्लॉग शुरू किया है ताकि दोनों को अपना समय दे सकूं ...!!आशा है आपका सहयोग मिलेगा.......!!
नमस्कार आपका स्वागत है

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Wednesday, October 1, 2014
Tuesday, August 19, 2014
सखी साजन अबहूँ न आए ....!!
हृदय मे माँ की याद लिए ,आज इस मंदिर में अपने स्वरों का दीप प्रज्ज्वलित कर रही हूँ !!शांत ...नीरव ....एकांत है वातावरण ..........
With special thanks to my friend Debjeet De Sarkar and his lovely daughter Sheuli ......
आप सब की फरमाइश पर .....'Colours of music' से Ashish Raiआशीष भाई का लिखा दीपक शर्मा जी द्वारा संगीत बद्ध किया गया ये गीत .....''सखी साजन अबहूँ न आए .....
Saturday, July 21, 2012
श्याम ने न आवन की ठानी .....
इस सुर मंदिर पर आज नमन और श्रद्धा के साथ अपनी इस नई कोशिश को रख रही हूँ ....बस बंद आँखों से कल्पना ही कर रही हूँ ...माँ आप होतीं तो आपके चेहरे के भाव क्या होते ...!!
यूँ तो किसी गीत को स्वरबद्ध करना अपने आप मे एक अलग विधा है |जैसे कविता हर कोई नहीं लिख सकता ,उसी प्रकार धुन भी हर कोइ नहीं बना सकता |जब इसकी धुन बनाने लगी तभी समझ मे आया कितना मुश्किल है धुन बनाना |लेकिन यही धुन बनाने के लिये मुझे अपनी धुन की पक्की होना पड़ा था ...तभी इस धुन को खोज पाई मैं ...!!
श्याम धुन की खोज ही .... धुन बन गयी थी मेरी ....जैसे श्याम दिखते नहीं हैं .. ... .....प्रभु को ढूंढने की ,धुन को ढूँढने की मुश्किल और भी बढ़ जाती है ... ..... पूरी आस्था से चाह रही थी ...ऐसी धुन बने जिसे मह्सूस किया जा सके ..... सुन कर धुन हृदय तक पहुंचे ..... लगी ही रही ....अपनी पूरी आस्था के साथ ...तब तक जब तक ये धुन नहीं मिली मुझे ....
कभी कभी बहुत खुशी भी अभिव्यक्त नहीं कर पाता मन ...
इस धुन को बना कर जो खुशी मिली है मुझे वो व्यक्त नहीं कर पा रही हूँ मैं ...
श्याम धुन की खोज ही .... धुन बन गयी थी मेरी ....जैसे श्याम दिखते नहीं हैं .. ... .....प्रभु को ढूंढने की ,धुन को ढूँढने की मुश्किल और भी बढ़ जाती है ... ..... पूरी आस्था से चाह रही थी ...ऐसी धुन बने जिसे मह्सूस किया जा सके ..... सुन कर धुन हृदय तक पहुंचे ..... लगी ही रही ....अपनी पूरी आस्था के साथ ...तब तक जब तक ये धुन नहीं मिली मुझे ....
कभी कभी बहुत खुशी भी अभिव्यक्त नहीं कर पाता मन ...
इस धुन को बना कर जो खुशी मिली है मुझे वो व्यक्त नहीं कर पा रही हूँ मैं ...
तो चलिये अब ये गीत सुनिये ....मेरे लिये जीवन की बहुत बड़ी उपलब्द्धि ....
राग खमाज पर आधारित है ये गीत |खमाज थाट का राग है ये ...!इस राग का उपयोग उपशास्त्रीय संगीत मे बहुत किया जाता है |इस राग में बड़ा खयाल नहीं गाया जाता क्योंकि इसकी प्रकृति चंचल है ,ठहराव कम है ...और श्रिंगार रस प्रधान है ....!!टप्पे,ठुमरी ,दादरा आदि में बहुतायत से इसका प्रयोग होता है ...!!
राग खमाज पर आधारित है ये गीत |खमाज थाट का राग है ये ...!इस राग का उपयोग उपशास्त्रीय संगीत मे बहुत किया जाता है |इस राग में बड़ा खयाल नहीं गाया जाता क्योंकि इसकी प्रकृति चंचल है ,ठहराव कम है ...और श्रिंगार रस प्रधान है ....!!टप्पे,ठुमरी ,दादरा आदि में बहुतायत से इसका प्रयोग होता है ...!!
आशा है मेरा प्रयास पसंद आया होगा ....बहुत आभार ....!!
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