नमस्कार आपका स्वागत है

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Thursday, March 26, 2015

प्रभास से पूर्ण ....!!



भोर का राग .....कितना आह्लादकारी  ....कितना सुखद ....!!ऊर्जा से प्रखर ....प्रभास से पूर्ण ....!!
साधना की पराकाष्ठा ..........!!
चल मन उड़ चलें विस्तृत आकाश के विस्तार में......


Friday, April 25, 2014

संतूर पर राग अहिरभैरव ....!!

क्षमा कीजिएगा बहुत समय बाद पोस्ट डाल  रही हूँ !

राग अहिरभैरव पर बहुत सुंदर कोम्पोज़ीशन सुनिए ,और साथ ही पंडित शिवकुमार शर्मा जी व संतूर के विषय मे कुछ जानकारी भी ....








आभार.

Sunday, October 6, 2013

राग दरबारी कान्हड़ा ।



राग दरबारी कान्हड़ा ।
रात्रि के अंतिम प्रहर मे गाया बजाया जाता है ...!!
मंद्र सप्तक का ज्यादा प्रयोग होता है क्यूंकी रात का अंतिम प्रहर है !ऐसा प्रतीत होता है मानो अंधकार हार गया है लड़ते लड़ते .....स्वर क्षीण से ...अवरोह पर हैं .....और .............बस भोर होने को ही है ......प्रकृति भी धीर है ,गंभीर है ,चंचल नहीं है ......


पूरी राग सुनने के पश्चात भोर की सी अनुभूति होती है .....यही संगीत की ताकत है ....
कहते हैं तानसेन ने अकबर बादशाह को प्रसन्न करने के लिए ये राग गाया था !