आज श्याम मोह लीनो बाँसुरी बजाये के ...!!
मुझे तो स्पष्ट सुनाई दे रही है कानो में बाँसुरी की वो आवाज़ जैसे दे रही हो संदेसा हरि की उपस्थिति का ...
जहाँ तक हो सका है शास्त्रीय संगीत के प्रति आप लोगों में रूचि जगाने का प्रयत्न किया है ।इस विधा को सीखने के लिए अत्यंत धैर्य ,लगन और समय की आवश्यकता होती है ।सुर साधना एक आराधना ही है ।क्योंकि सुर शरीर के नहीं ...आत्मा के साथी होते हैं ...!!और उन्हीं की आराधना में मन ऐसा लिप्त होता है कि फिर छोटी से छोटी उपलब्द्धि भी साधक को किसी बड़े पुरस्कार से कम नहीं लगती ।ईश्वर का प्रसाद ही लगती है ।सालों तक रियाज़ करे तब कहीं कुछ गुण गाने लायक बनता है एक साधक ।जब सुर ,मन का मीत बन ,समझ में आने लगते हैं ,साथ साथ चलते हैं ...मन की प्रसन्नता अवर्णनीय हो जाती है ।उन्हीं सुरों से किसी भी कारण जब दूर होता है मन ...एक वेदना से घिर जाता है ...!!यही एक साधक की जीवन यात्रा है ...!!
संगीत की यात्रा बहुत कठिन है ...क्योंकि अपनी साधना से ,इस राह से ..हटने पर साधक अभिशप्त हो कुछ भी हासिल नहीं कर सकता ..!!सुर साधते हुए समस्त दुनिया भूल कर ही सुर लगाना पड़ता है ।
"जग त्यक्त कर ही तुममे अनुरक्त हुई ...!!" इसीलिए इसे ध्यान का एक रूप माना जाता है ।
माँ को श्रद्धांजलि देते हुए इस ब्लॉग पर लिखना प्रारंभ किया था ।आज अत्यंत हर्ष है कि उन्हीं के आशीर्वाद से ही ये संगीत यात्रा चलती रही है ...!!आप सभी गुणीजनों का आशीर्वाद एवं स्नेह भी मिलता रहा है ...!!किसी भी संगीत साधक की ये ख़्वाहिश होती है कि उसके सुर श्रोता के ह्रदय तक पहुंचें .....और उन सुरों पर जब श्रोताओं की प्रशंसा मिलती है ...तो हाथ जोड़ नमन ही करता है एक साधक ...!!मैं भी ह्रदय से आभार प्रकट करती हूँ सुधि पाठकों का ...श्रोताओं का ...!!आपको समय समय पर शास्त्र के विषय में जानकारी दी और अपने गाये हुए कुछ गीत और भजन भी सुनाये ...!!
श्याम भजन मेरे जीवन की बहुत बड़ी उपलब्द्धि है ...वो भजन जिसे मैंने लिखा .....धुन बनाई .. और स्वयं ही गाया भी ..!!आभारी हूँ आप सभी की पुनश्च आप सभी ने बहुत मन से उसे सराहा भी ...!!
भरसक प्रयत्न रहता है कि शास्त्रीय संगीत को,भारतीय संगीत को ... वो मान वो मर्यादा मिलती रहे जिसका वो हक़दार है ।इस प्रकार अपनी संस्कृति की थोड़ी भी रक्षा कर सकूं तो ईश्वर के प्रति अपना आभार मानूँगी ...!!अपना जीवन सफल समझूँगी ।
आइये अब संजीव अभ्यंकर जी से आरत ह्रदय से उनका गाया एक खूबसूरत मीरा भजन सुनिए ....और आँख मूँद कर खो जाइए उस दुनियां में जिसे शास्त्रीय संगीत कहते हैं ....!!दावे से कहती हूँ ....प्रभु दर्शन हो ही जायेंगे .......!!
कोई कहियो रे प्रभु अवन की , अवन की मन -भवन की |
आप न आवे लिख नहीं भेजे , बाण पड़ी ललचावन की |
ये दो नैन कह्यो नहीं माने , नदिया बहे जैसे सावन की |
कहा करू , कछु नहीं बस मेरो , पाख नहीं उड़ जावन की
मीरा कहे प्रभु कब रे मिलोगे , चेरी भाई हु तेरे दावन की |
आगे भी इसी तरह अपना स्नेह एवं आशीर्वाद बनाये रहिएगा ...!!और इस ब्लॉग को अपना अमूल्य समय देते रहिएगा .........!!
बहुत आभार ....!!
badhai aur shubkamnayen... ye yatra abhadh rup se chalti rahe........:)
ReplyDeleteकई वर्ष जुड़ें और तुम हर्षित होती जाओ...शुभकामनायें
ReplyDeleteब्लॉग का एक वर्ष पूरा होने पर हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteसादर
वर्ष एक से अनेक होते जाएँ....आप गाती जाएँ....लिखती जाएँ...हँसती जाएँ...
ReplyDelete:-)
शुभकामनाएं..
सादर
अनु
बहुत मधुर भजन ..
ReplyDelete..बधाई ....
संगीत जीवन के लिये बहुत आवश्यक है।
ReplyDeleteवाह अनुपमाजी ....आनंद आ गया ...लेख और भजन दोनों का .....इस ब्लॉग के एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आपको ढेरो शुभकामनाएं .......बस इसी प्रकार हमारा ज्ञान वर्धन करती रहे.....और संगीत की सेवा में निरंतर अग्रसर रहे....
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें !
ReplyDeleteशास्त्रीय संगीत सीधा दिल में उतरता है ....बेशक़ अगर आप दिल से सुने तो !!!
सुंदर भजन ,मनभावन स्वर ....
शुभकामनायें!
भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिया आपका समर्पण इस ब्लॉग जगत का अमूल्य धरोहर है . मुझ जैसा संगीत से अनभिज्ञ के लिए आपकी ये श्रंखला ज्ञान श्रृंखला है . पहले केवल सुनता था रागों और सुर के बारे में इस ब्लॉग पर पढ़कर पहचाने की कोशिश भी करने लगा हूँ.. संगीत तो इश्वर साधना का एक मार्ग है बरास्ते सुर , हम आपकी इस सुर साधना के अनुगामी है इसका गर्व है . ये पावन धारा बहती रहे और हम सुर गंगा में गोते लगाते रहे . सुर और रागों वाला एक वर्ष पूर्ण करने की शुभकामनायें और ऐसे अनगिनत आगामी वर्षो से परिचय करवाने के लिए अनंत अभिलाषाएं .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गायन और भाव भीगे बोल ह्रदय को एक अनोखे सुख की अनुभूति हुई
ReplyDeleteआपके इस ब्लॉग से हमने भी बहुत कुछ सीखा है। इस शास्त्र के बारे में कोई जानकारी न थी। धीरे-धीरे जानकारी में वृद्धि हुई है।
ReplyDeleteसाल भर का सफ़र सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए आप निश्चित रूप से बधाई की पात्र हैं। आगे की यात्रा के लिए शुभकानाएं।
जीवन के लिये बहुत आवश्यक है संगीत साथ ही ब्लॉग का एक वर्ष पूरा होने पर हार्दिक
ReplyDeleteशुभकानाएं......!!
@ संजय भास्कर
सुमधुर भजन के साथ.. ब्लॉग का एक वर्ष पूरा होने पर हार्दिक बधाई! अनुपमा जी..
ReplyDeletesahi baat likhi hai..maan ko samarpit kiya hai to unka ashirvaad to rehna hi tha...
ReplyDeleteek varsh pura hone par badhai...!! :) :)
सुर की सरिता में बहाया ... एक वर्ष पूरा होने पर हार्दिक बधाई ... यह सफर अनवरत चलता रहे ... शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई .........संगीतमयी यात्रा के लिए !
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