श्वेत कमल... |
ठाट :कल्याण
जाती :सम्पूर्ण
समय :रात्री का प्रथम प्रहर
वादी :ग(गंधार)
संवादी:नि (निषाद)
आरोह: नि रे ग म प धनि सां
अवरोह: सां नि ध प म ग रे सा
राग यमन की चर्चा चल रही है ...!!
इसका वादी ग और संवादी नि है |आज मैं आपको बताती हूँ वादी ,संवादी क्या होता है ...
वादी मतलब मुख्य स्वर ..
राग विस्तार :नि रे ग$$ ,रे ग$$ ,म $ ग$$ , पम ग रे ग$$$$,नि रे सा $$$
यहाँ आप देख रहे होंगे दूसरे स्वर लेने के बाद ग पर आकर हम थोड़ा रुकते हैं ... और स्वरों की अपेक्षा ग बार बार भी आ रहा है और वहां पर ठहराव भी है इसलिए ये राग का वादी स्वर है .
ठीक इसी प्रकार नि राग में ग से कम उपयोग में आता है तो वो संवादी स्वर कहलाता है |
यह यमन की स्वर मालिका है ....16 मात्र ताल - तीनताल में निबद्ध.........
यह यमन की स्वर मालिका है ....16 मात्र ताल - तीनताल में निबद्ध.........
स्थाई ...
नि ध - प म प ग म प - - - प म ग रे
सा रे ग रे ग म प ध प म ग रे ग रे सा -
नि रे ग म प ध नि सां रे सां नि ध प म ग म
अन्तरा अगले भाग में ...स्थाई समझने के बाद .....
जब हम कार चलाना सीखते हैं ..बड़े ध्यान से पहले पहला गेयर ....फिर दूसरा ...फिर तीसरा ...चौथे गेयर में चलने के लिए धैर्य चाहिए न ...? वैसे ही संगीत समझने के लिए धैर्य की आवश्यकता है ...अपना धैर्य खोएं नहीं इसे पढ़ते रहें .....!!
आभार.
अरे वाह, कितनी आसानी से बता दिया अपने। आभार।
ReplyDelete------
क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
@Dr.Zakir....abhar...
ReplyDelete@Prerna ji ..abhar.....
sangeet seekhnewalon ke liye achha padaw...
ReplyDeleteयमन राग की स्वर मालिका देख कर आनंद आ गया अनुपमा जी ! स्थाई की अंतिम पंक्ति में मंद्र सप्तक के नी के नीचे बिंदी लगा दीजिए जिससे हारमोनियम पर अभ्यास करने वाले समझ जायें कि यहाँ नी मंद्र सप्तक का है मध्य सप्तक का नहीं ! बहुत अच्छा लग रहा है इसे गुनगुना कर ! आभार !
ReplyDeleteसाधना जी शुक्रिया...नि
ReplyDeleteके नीचे मंद्र सप्तक की बिंदी कैसे लगायी जाये...?समझ नहीं आया ...कृपया आपको पता हो तो मार्ग दर्शन कीजियेगा....
यमन के संगीतमाला पढ़ कर मुझे मेरी music teacher Mrs Mitra की याद आ गयी! वादी संवादी की जानकारी ज्ञानवर्धक थी ! बहुत अच्छा काम कर रही हो संगीत प्रेमियो के लिये.........
ReplyDeleteअनुपमा जी मंद्र सप्तक के स्वरों के नीचे बिंदी लगाने के कई विकल्पों पर मैंने भी विचार किया लेकिन वह कारगर नहीं हो पा रहा है ! वर्ड पेज पर बन जाता है तो ब्लॉग पर कॉपी पेस्ट नहीं हो रहा है ! इसका आसान उपाय यह होगा कि आप किताब से ही स्वरामालिका स्कैन करा कर ब्लॉग पर डाल दें या हाथ से लिख कर व कैमरे से उसकी तस्वीर खींच कर ब्लॉग पर पेस्ट कर दें ! ऐसा करने से पाठकों तक सही सामग्री पहुँचेगी ! आशा है मेरा सुझाव आपके कार्य में मददगार सिद्ध होगा ! साभार !
ReplyDeleteराग यमन..बहुत सरल ठंग से समझा रही है आभार...
ReplyDeleteबहुत सरलता से आपने राग यमन समझा दिया बधाई |
ReplyDeleteआशा
आफिसिअली टूर... कुछ दिन नेट से दूर रहा... आज बैठा तो इस सुन्दर पोस्ट में आकर आनंद आगया... आज समय निकाल कर कुछ अभ्यास का प्रयास करता हूँ...
ReplyDeleteसादर आभार...
Kamal kar diya apne.sadhuvad.
ReplyDeleteRaag yaman ke bade khyaal ki notation mil sakti hai
ReplyDelete