अरुण कमल |
सबसे पहले आभार आप सभी का इस श्रंखला में रूचि लेने हेतु ..!
मनोज जी आपने प्रश्न पूछा था की राग और थाट में क्या अंतर है ..?
आज यहीं से इस आलेख की शुरुआत करती हूँ |आधुनिक काल में यह पद्धति थाट -राग वर्गीकरण के नाम से प्रचलन में आई |जैसा की मैंने आपको बताया था संपूर्ण रगों को ,उनके स्वर प्रयोग के आधार पर ,दस थाटों में विभाजित किया गया है |फिलहाल हम कल्याण थाट की बात कर रहें हैं |कल्याण थाट में कई राग आते हैं ..जैसे -भूपाली,कल्याण,छायानट,केदार,कामोद,गौड़ सारंग,हमीर ...इत्यादि |अब इन्हीं सब रागों से राग कल्याण पर हमने थाट का नाम भी कल्याण कर दिया |तो कल्याण थाट भी है और राग भी |अब भूपाली को लीजिये ...उसका वर्णन करते समय हम कहेंगे थाट- कल्याण ..राग -भूपाली ...|
आज यहीं से इस आलेख की शुरुआत करती हूँ |आधुनिक काल में यह पद्धति थाट -राग वर्गीकरण के नाम से प्रचलन में आई |जैसा की मैंने आपको बताया था संपूर्ण रगों को ,उनके स्वर प्रयोग के आधार पर ,दस थाटों में विभाजित किया गया है |फिलहाल हम कल्याण थाट की बात कर रहें हैं |कल्याण थाट में कई राग आते हैं ..जैसे -भूपाली,कल्याण,छायानट,केदार,कामोद,गौड़ सारंग,हमीर ...इत्यादि |अब इन्हीं सब रागों से राग कल्याण पर हमने थाट का नाम भी कल्याण कर दिया |तो कल्याण थाट भी है और राग भी |अब भूपाली को लीजिये ...उसका वर्णन करते समय हम कहेंगे थाट- कल्याण ..राग -भूपाली ...|
इस प्रकार हर थाट में कोई एक ऐसा राग होता है जो राग भी है और थाट भी |फिर आगे मैं आपको बताउंगी कि हर थाट में कुछ स्वर संगतियाँ समान होती हैं |हर थाट कि कुछ विशेष बातें होतीं हैं जो उसके अंतर्गत आने वाली हर राग में झलकती है|
थाट कल्याण की मुख्य विशेषता है तीव्र मध्यम का प्रयोग....!!
यहाँ मैं आपको पुराना लिंक भी दे रहीं हूँ उसको पढ़ने से भी थाट के बारे में समझ और बढ़ सकेगी ...!!
आगली कड़ी में हम चर्चा करेंगे कल्याण थाट की कुछ अन्य विशेषताओं के बारे में ...!!
ये भी पढ़ें ... परिकल्पना पर ..कुछ उनकी कुछ इनकी...आभार..
आपका यह ब्लॉग एक बहुत ही अच्छा प्रयास है खास कर उनके लिए जो संगीत की बारीकियों को सरल तरीके से समझना चाहते हैं।
ReplyDelete---------
कल 05/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
is blog ka zikra her jagah aana chahiye ...kyonki sangeet mein jivan ke anginat sur hote hain
ReplyDeleteआद अनुपमा जी,
ReplyDeleteअच्छी पहल है... संगीत की आधारभूत जानकारी के साथ उसे समझने का प्रयास करने वालों के लिए यह महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है... आपने सुन्दर जानकारी दी है इस पोस्ट में... एक सुझाव कि पोस्ट को और अधिक सरस और रोचक बनाने के दृष्टिकोण से यदि पोस्ट विशेष में जिस राग की चर्चा हो उस राग पर आधारित किसी मधुर गीत का आडिओ लगाया जाय तो?
सादर बधाई एवं शुभकामनाएं....
शुक्रिया संजय जी ....आपका सुझाव ज़रूर ध्यान में रखूंगी.....कोशिश जारी है ...!!
ReplyDeleteअत्यंत सराहनीय, प्रशंसनीय एवं वन्दनीय ब्लॉग है आपका अनुपमा जी ! संगीत मेरा भी प्रिय विषय था ! अब तो सुन कर ही काम चलाना पडता है ! शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीत मन को बहुत सुकून देते हैं ! संगीत मेरा विषय था किसी ज़माने में इसलिए यह सारी जानकारी उसके थ्योरी पेपर के लिये हमें भी बताई गयी थी ! दोबारा सब पढ़ कर अच्छा लग रहा है ! आप इसी तरह हमें लाभान्वित करती रहिये ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteचलिये जानते हैं संगीत के हारे में।
ReplyDeleteअनुपमा तुम तो खुद इतना सुन्दर गाती हो, अपनी ही आवाज़ में गया कोई गीत डाल दोगी तो इस सुर मंदिर को चार चांद लग जायंगे......
ReplyDeleteआभार मीना इस सुझाव के लिए ...कोशिश जारी है ....मुझे पूर्ण विश्वास है सफलता मिलेगी ...
ReplyDeleteThank you mam
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