आज निज घाट बिच फाग मचैहों
ध्यान चरनन में लागैहों .....
इक सुर साधे तम्बूरा तन का ..
सांस के तार मिलैहों ...
मोद-मृदंग मंजीरा मनसा ...
तो विनय कि बीन बजैहों ..
भजन सतनाम को गईहों ...
ये भक्ति फाग ...
राग मिश्र काफी ......ताल दीपचंदी ....
अब सुनिए ......
ध्यान चरनन में लागैहों .....
इक सुर साधे तम्बूरा तन का ..
सांस के तार मिलैहों ...
मोद-मृदंग मंजीरा मनसा ...
तो विनय कि बीन बजैहों ..
भजन सतनाम को गईहों ...
ये भक्ति फाग ...
राग मिश्र काफी ......ताल दीपचंदी ....
अब सुनिए ......