सगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ...इनका स्रोत एक ही है किन्तु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं ...इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने ये नया ब्लॉग शुरू किया है ताकि दोनों को अपना समय दे सकूं ...!!आशा है आपका सहयोग मिलेगा.......!!
भोर का राग .....कितना आह्लादकारी ....कितना सुखद ....!!ऊर्जा से प्रखर ....प्रभास से पूर्ण ....!!
साधना की पराकाष्ठा ..........!!
चल मन उड़ चलें विस्तृत आकाश के विस्तार में......