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Monday, January 23, 2012

सहृदय स्वरोज सुर मंदिर पर ...

सहृदय स्वरोज  सुर मंदिर पर ...

ख़ामोशी की आवाज़....
अँधेरे में उठाते रोशन लफ्ज़ ...



21 comments:

  1. बार-बार सुनने को मन करता है।

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    1. बहुत आभार...ज़रूर सुनिए ...!!

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  2. अह्हा.... आनद आ गया आदरणीय अनुपमा जी...
    सादर आभार.

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  3. बहुत सुंदर गायन ,..आपकी आवाज बहुत अच्छी लगी,..लेखन और गायन दोनों विधाओं में आप निपुण है,...बहुत२ बधाई शुभ कामनाए,....
    WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....

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  4. प्रशंसनीय.......

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  5. अनुपमा जी आपके गले की तारीफ़ किन शब्दों में करूँ? आप तो कोकल कंठी हैं...वाह...आनंद आ गया आपको सुन कर...किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह...जगजीत सिंह जी भी साथ साथ याद आ गए...बधाई बधाई बधाई..

    नीरज

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  6. BAS SUNTE JA RAHI HUN ... FAN LIST ME MERA NAAM DE DO

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  7. बहुत आभार. बहुत बहुत आभार.

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    1. कितना मधुर गाती हैं आप ! वैसे भी यह मेरी बेहद पसंदीदा गज़ल है ! बार-बार सुन कर भी मन प्यासा ही रहा जाता है ! आपके नाम की तरह आपकी आवाज़ भी अनुपम है ! बेहद मीठी दिल को छूने वाली !

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    2. बहुत आभार.
      सच में इस ग़ज़ल में इतना दर्द है की गाकर भी एक अजीब सा एहसास होता है ...

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  8. अनुपमा जी आपके अनुपम गीत -माधुर्य ने अभिभूत कर दिया । मेरा शत-शत प्रणाम ! ईश्वर यह स्वर माधुर्य ताज़िन्दगी बनाए रखे !

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    1. शुभाशीर्वाद के लिए ह्रदय से आभार ...

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