सगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ...इनका स्रोत एक ही है किन्तु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं ...इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने ये नया ब्लॉग शुरू किया है ताकि दोनों को अपना समय दे सकूं ...!!आशा है आपका सहयोग मिलेगा.......!!
नमस्कार आपका स्वागत है
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Monday, January 23, 2012
सहृदय स्वरोज सुर मंदिर पर ...
सहृदय स्वरोज सुर मंदिर पर ...
ख़ामोशी की आवाज़....
अँधेरे में उठाते रोशन लफ्ज़ ...
बहुत सुंदर गायन ,..आपकी आवाज बहुत अच्छी लगी,..लेखन और गायन दोनों विधाओं में आप निपुण है,...बहुत२ बधाई शुभ कामनाए,.... WELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है.... गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
अनुपमा जी आपके गले की तारीफ़ किन शब्दों में करूँ? आप तो कोकल कंठी हैं...वाह...आनंद आ गया आपको सुन कर...किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह...जगजीत सिंह जी भी साथ साथ याद आ गए...बधाई बधाई बधाई..
कितना मधुर गाती हैं आप ! वैसे भी यह मेरी बेहद पसंदीदा गज़ल है ! बार-बार सुन कर भी मन प्यासा ही रहा जाता है ! आपके नाम की तरह आपकी आवाज़ भी अनुपम है ! बेहद मीठी दिल को छूने वाली !
अत्यन्त मधुर..
ReplyDeleteबहुत आभार...
Deleteबार-बार सुनने को मन करता है।
ReplyDeleteबहुत आभार...ज़रूर सुनिए ...!!
Deleteबहुत आभार...
ReplyDeleteअह्हा.... आनद आ गया आदरणीय अनुपमा जी...
ReplyDeleteसादर आभार.
बहुत आभार ..!!
Deleteबहुत सुंदर गायन ,..आपकी आवाज बहुत अच्छी लगी,..लेखन और गायन दोनों विधाओं में आप निपुण है,...बहुत२ बधाई शुभ कामनाए,....
ReplyDeleteWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
बहुत आभार
Deleteप्रशंसनीय.......
ReplyDeleteबहुत आभार
Deleteअनुपमा जी आपके गले की तारीफ़ किन शब्दों में करूँ? आप तो कोकल कंठी हैं...वाह...आनंद आ गया आपको सुन कर...किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह...जगजीत सिंह जी भी साथ साथ याद आ गए...बधाई बधाई बधाई..
ReplyDeleteनीरज
बहुत आभार
DeleteBAS SUNTE JA RAHI HUN ... FAN LIST ME MERA NAAM DE DO
ReplyDeleteबहुत आभार
ReplyDeleteबहुत आभार. बहुत बहुत आभार.
ReplyDeleteकितना मधुर गाती हैं आप ! वैसे भी यह मेरी बेहद पसंदीदा गज़ल है ! बार-बार सुन कर भी मन प्यासा ही रहा जाता है ! आपके नाम की तरह आपकी आवाज़ भी अनुपम है ! बेहद मीठी दिल को छूने वाली !
Deleteबहुत आभार.
Deleteसच में इस ग़ज़ल में इतना दर्द है की गाकर भी एक अजीब सा एहसास होता है ...
अनुपमा जी आपके अनुपम गीत -माधुर्य ने अभिभूत कर दिया । मेरा शत-शत प्रणाम ! ईश्वर यह स्वर माधुर्य ताज़िन्दगी बनाए रखे !
ReplyDeleteशुभाशीर्वाद के लिए ह्रदय से आभार ...
Deleteबहुत आभार.
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