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Saturday, July 14, 2012

भूली बिसरी बातें .....

विभिन्न प्रांतोंमे प्रादेशिक संस्कृति की आवश्यकता के अनुसार भिन्न-भिन्न अवसरों पर जो गीत गाये जाते हैं ,उसे लोक-संगीत कहा गया है |लोक-संगीत के संस्कार - युक्त संस्करण को शास्त्रीय संगीत की संज्ञा दी गयी है |क्लिष्ट्ता बढ़ जाने के कारण शास्त्रीय संगीत समाज के लिये अरंजक और दुरूह होता चला गया |
                                 

कलाओं का उद्देश्य भावनाओं के उत्कर्ष द्वारा रसानुभूति कराना है |स्वर,ताल और लय ,मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं ,इसलिये संगीत का महत्व बहुत ज्यादा है |शास्त्रीया संगीत में तकनीकी विशेषतायें अधिक आ जाने के कारण वह लोक-संगीत की तरह जन-मन तक नहीं पहुंचता .....!लोग इसके नाम से ही घबरा जाते हैं ...!!बहुत मेह्नत और सतत प्रयास की वजह से ....ना तो आम लोग सीख पाते हैं ...ना सुन पाते हैं ...ना समझ पाते है ....!!और इसके  विपरीत लोक-संगीत सहज ग्राह्य होने के कारण जन-मन को आकर्षित करता है |जीवन से जुड़ी हुई स्थितियाँ जब लोक्गीतों के माध्यम से फूटतीं हैं ,तो अनायास ही रस की वर्षा करने लगती हैं |सरल शब्दावली सभी की समझ मे आ जाती है इसलिये सभी लोगों के हृदय से जुड़ती है ...!!जन्म से लेकर मृत्यु तक के गीत इतनी स्वछंदतापूर्वक प्रकट होते हैं कि मनुष्य अपने  समाज और अपनी मिट्टी से अनायास ही जुड़ जाता है ...!!
व्यक्ति और समाज के सुख और दुख का प्रतिबिम्ब लोक संगीत है ,यह कहना कोइ अत्युक्ति नहीं|

लोक संगीत का छंद यद्यपि संक्षिप्त होता है ,परंतु भाव के अनुकूल होने से वह मन मस्तिष्क पर पूरा प्रभाव डालता है|भावों की सनातनता के कारण लोक संगीत कभी पुराना नहीं पड़ता वह सदाबहार है ...|गायक और श्रोता के बीच सीधा जुड़ाव होने के कारण भाव सम्प्रेषण की प्रक्रिया में लोक-संगीत सबसे अधिक सक्षम है |लोक-संगीत से प्रभावित होकर ही श्री रवींद्रनाथ टैगोर ने शास्त्रीय संगीत के धरातल पर हृदय को छूनेवाले स्वारों को शब्दों का चोला पहनाकर ,एक नई गान पद्धतिका निर्माण किया था,जो रवींद्र-संगीत के नाम से जानी जाती है |

सावन के इस मौसम मे आइये एक  कजरी सुनिये ........


9 comments:

  1. वाकई कर्णप्रिय होता है लोक संगीत.....
    मालिनी अवस्थी जी,इला अरुण इन्होने आम लोगों तक पहुंचाया लोक गीतों को..
    सुन्दर गीत सांझा करने का शुक्रिया

    अनु

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  2. यह कजरी सुन कर आनंद आया.
    आभार.

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  3. वाह! सुनकर तो आनंद आ गया....
    सादर.

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  4. अरे वाह अनुपमा जी बहुत सुंदर पोस्ट एकदम लोक संगीत सी सरल ग्राह्य और सरस ...
    धन्यवाद

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  5. हुत सुंदर पोस्ट...

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  6. लोकसंगीत में एक अजब मधुरता होती है..

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  7. is saawan me loksangeet anand aa gaya....thanks for such post...

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  8. लोक संगीत निश्चित रूप से अधिक शान्ति पहुंचाते हैं मन को। कजरी तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। एक बेहतरीन पोस्ट के लिए विशेष आभार।

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  9. बेहतरीन सुन कर आनंद आया

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