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Friday, January 25, 2013

राग मधुवंती तथा जोग का परिचय ।


राग मधुवंती ....

इस राग में गंधार कोमल ,मध्यम तीव्र तथा शेष स्वर शुद्ध लगते हैं |आरोह में ऋषभ तथा धैवत वर्ज्य होने के कारण  इसकी जाती  औडव -सम्पूर्ण मानी जाती है |ऋषभ पर षडज का कण ,गंधार पर तीव्र मध्यम का स्पर्श (कण)से इस राग की रंजकता बढ़ती है |कभी कभी कोमल निषाद का अत्यल्प प्रयोग करने से राग वैचित्र्य उत्पन्न होता है |,साथ ही माधुर्य भी बढ़ता है |वादी पंचम तथा संवादी स्वर ऋषभ है |प्रयोग काल साँय चार बजे से रात्रि के प्रथम प्रहर तक है |यह राग मुलतानी के काफी निकट है |अतः कुछ गुणी जन इसे तोड़ी ठाट के अंतर्गत भी मानते हैं |इसका आरोह-अवरोह इस प्रकार है ....

आरोह-सा  ग    (तीव्र) प नी सां

अवरोह-सां नी ध प  (तीव्र)  रे सा












राग -जोग ......

यह काफी थाट का राग है |इसका प्रचार हाल ही में हुआ है |इसमें दोनों गांधार लगते हैं |निषाद कोमल है ,और ऋषभ और धैवत वर्जित है |अन्य स्वर शुद्ध हैं |इसकी जाति औडव है |इसके आरोह में शुद्ध गंधार तथा अवरोह में कोमल गांधार का प्रयोग किया जाता है |

आरोह-नि सा ग   म प  (सां)नि  सां
अवरोह--सां नि प म $$,ग$म प$$म प ग $$सा ।




5 comments:

  1. शान्ति से बैठकर सुनते हैं।

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  2. बहुत सुन्दर....
    आपको फिर से लिखता पाकर खुश हूँ
    :-)

    सस्नेह
    अनु

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  3. अनुपमा जी आपने मेरी बात को ध्यान में रखा । आभारी हूँ । मीताजी और परवीन सुल्तान जी की आवाज में दोनों राग सुन कर आनन्दकी अनुभूति मिली ।एक बार फिर आपको धन्यवाद

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  4. अनुपमा जी आपने मेरी बात को ध्यान में रखा । आभारी हूँ । मुझे कोई जानकारी तो नही है लेकिन ऐसी प्रस्तुतियाँ मन मोह लेतीं हैं ।

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  5. Karn madhur raginiyon se saja hai aapka blog.

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