बरसते हुए पानी में पीड़ा क्यों झरने लगती है ......
ठंडी पावन पवन आर्द्रता से भरी ..एक अजीब सी टीस लिए हुए जब बहती है ....छू जाती है हृदय को .......तब नैनो से दो बूंद आँसू ज़रूर टपकते हैं और उस समय कहना बहुत मुश्किल है ....मन क्या कह रहा है ये समझना भी बहुत मुश्किल है ....
मनन चिंतन से बस ईश्वर के पास होने की अनुभूति होती है .....
ये तड़प कैसी है .....
आह्लाद है या विरह .....
...राग मल्हार पर एक खूबसूरत प्रस्तुति