भारतीय संगीत कला की उत्पत्ति कब और कैसे हुई इस विषय पर विद्वानों के विभिन्न मत हैं जिनमे कुछ इस प्रकार हैं :
'संगीत-दर्पण' के लेखक दामोदर पंडित पंडित सन-१६२५ई .के मतानुसार ,संगीत की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही हुई |भरत मुनि ने महादेव के सामने जिसका प्रयोग किया ,वो मुक्ति दायक मार्गी संगीत कहलाता है |
फारसी के एक विद्वान का मत है कि हज़रात मूसा जब पहाड़ों पर घूम घूम कर वहाँ की छटा देख रहे थे ,उसी वक्त गैब ,आकाशवाणी हुई कि 'या मूसा हकीकी,तू अपना असा (एक प्रकार का डंडा ,जो फकीरों के पास होता है )इस पत्थर पर मार !' यह आवाज़ सुनकर हज़रात मूसा ने अपना असा जोर से उस पत्थर पर मारा ,तो पत्थर के सात टुकड़े हो गए और हर एक टुकड़े में से पानी की अलग अलग धार बहने लगी |उसी जल धारा की आवाज़ से अस्सामलेक हज़रात मूसा ने सात स्वरों की रचना की |जिन्हें सा,रे,ग,म,प,ध ,नी कहते हैं |
पाश्चात्य विद्वान फ्रायड के मतानुसार ,संगीत कि उत्पत्ति एक शिशु के समान ,मनोविज्ञान के आधार पर हुई |जिस प्रकार बालक रोना,चिल्लाना,हंसना अदि क्रियाएँ आवश्यकतानुसार स्वयं सीख जाता है ,उसी प्रकार मानव में संगीत का प्रादुर्भाव मनोविज्ञान के अधर पर स्वयं हुआ |
इस प्रकार संगीत कि उत्पत्ति के विषय में विभिन्न मत पाए जाते हैं |
संगीत की उत्पत्ति आरंभ में वेदों के निर्माता ब्रह्मा द्वारा हुई |ब्रह्मा ने यह कला शिव को दी और शिव जी के द्वारा सरस्वती जी को प्राप्त हुई |सरस्वती जी को इसीलिए 'वीणा पुस्तक धारिणी 'कहकर संगीत और साहित्य की अधिष्ठात्री माना गया है |सरस्वती जी से संगीत कला का ज्ञान नारद जी को प्राप्त हुआ |नारद जी ने स्वर्ग के गन्धर्व ,किन्नर और अप्सराओं को संगीत शिक्षा दी|पृथ्वी पर ऋषिओं ,जैसे भरत मुनि
के माध्यम से संगीत कला आई |'संगीत-दर्पण' के लेखक दामोदर पंडित पंडित सन-१६२५ई .के मतानुसार ,संगीत की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही हुई |भरत मुनि ने महादेव के सामने जिसका प्रयोग किया ,वो मुक्ति दायक मार्गी संगीत कहलाता है |
फारसी के एक विद्वान का मत है कि हज़रात मूसा जब पहाड़ों पर घूम घूम कर वहाँ की छटा देख रहे थे ,उसी वक्त गैब ,आकाशवाणी हुई कि 'या मूसा हकीकी,तू अपना असा (एक प्रकार का डंडा ,जो फकीरों के पास होता है )इस पत्थर पर मार !' यह आवाज़ सुनकर हज़रात मूसा ने अपना असा जोर से उस पत्थर पर मारा ,तो पत्थर के सात टुकड़े हो गए और हर एक टुकड़े में से पानी की अलग अलग धार बहने लगी |उसी जल धारा की आवाज़ से अस्सामलेक हज़रात मूसा ने सात स्वरों की रचना की |जिन्हें सा,रे,ग,म,प,ध ,नी कहते हैं |
पाश्चात्य विद्वान फ्रायड के मतानुसार ,संगीत कि उत्पत्ति एक शिशु के समान ,मनोविज्ञान के आधार पर हुई |जिस प्रकार बालक रोना,चिल्लाना,हंसना अदि क्रियाएँ आवश्यकतानुसार स्वयं सीख जाता है ,उसी प्रकार मानव में संगीत का प्रादुर्भाव मनोविज्ञान के अधर पर स्वयं हुआ |
इस प्रकार संगीत कि उत्पत्ति के विषय में विभिन्न मत पाए जाते हैं |