गायक और वादकों द्वारा सामूहिक रूप से जो संगीत प्रस्तुत किया जाता है उसे वृन्दगान कहते हैं ।
शास्त्रीय संगीत में वृन्दगान या समूहगान की परंपरा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है ।इसे अंगरेजी में CHOIR या CHOROUS कहते हैं ।ब्राह्मणों द्वारा मन्त्रों का सामूहिक उच्चारण ,देवालय में सामूहिक प्रार्थना ,कीर्तन ,भजनाथावा लोक में विभिन्न अवसरों पर गाये जाने वाले लोक गीत समूह गान या समवेत गान के अंतर्गत आते हैं ।सभी वृन्दगानों का विषय प्रायः राष्ट्रीय ,सामाजिक अथवा सांस्कृतिक होता है ।पारंपरिक एकता,राष्ट्र के प्रति प्रेम,समाज की गौरवशाली परम्पराओं का उद्घोष वृन्दगान के द्वारा ही सिद्ध होता है ।
वृन्दगान रचना के मुक्य तत्त्व इस प्रकार निर्धारित किये जा सकते हैं :
शास्त्रीय संगीत में वृन्दगान या समूहगान की परंपरा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है ।इसे अंगरेजी में CHOIR या CHOROUS कहते हैं ।ब्राह्मणों द्वारा मन्त्रों का सामूहिक उच्चारण ,देवालय में सामूहिक प्रार्थना ,कीर्तन ,भजनाथावा लोक में विभिन्न अवसरों पर गाये जाने वाले लोक गीत समूह गान या समवेत गान के अंतर्गत आते हैं ।सभी वृन्दगानों का विषय प्रायः राष्ट्रीय ,सामाजिक अथवा सांस्कृतिक होता है ।पारंपरिक एकता,राष्ट्र के प्रति प्रेम,समाज की गौरवशाली परम्पराओं का उद्घोष वृन्दगान के द्वारा ही सिद्ध होता है ।
वृन्दगान रचना के मुक्य तत्त्व इस प्रकार निर्धारित किये जा सकते हैं :
- साहित्यिक तत्व
- सांगीतिक तत्व
- श्रेणी विभाजन
- सञ्चालन .
- विक्टर प्रानज्योती ,
- एम .वी .श्रीनिवासन,
- विनयचन्द्र मौद्गल्य ,
- सतीश भाटिया
- वसंत देसाई
- जीतेन्द्र अभिषेकी
- पंडित शिवप्रसाद .
बहुत अच्छी जानकारी अनुपमा जी....
ReplyDeleteपंडित रविशंकर जी ने जो एशियाड में "स्वागतम,शुभ स्वागतम....आनंद मंगल मंगलम..." हज़ारों बच्चों से गवाया था वो क्या वृन्द गान की श्रेणी में आता है???
आभार अनु ...अपने मेरे लेख पर इतनी दिलचस्पी ली |आपका पूछा हुआ प्रश्न बहुत बढ़िया है |उत्तर लंबा है इस वजह से देने मी विलम्ब हुआ ...!मेरी समझ से तो वो वृन्दगान में नाहीं आता |भरत के नाट्यशास्त्र में तीन प्रकार के वृन्द बताये गए हैं ...
Delete१-उत्तम वृन्द:इसमें चार मुख्या गायक ,आठ सहगायक,बारह गायिकाएं,होतीं हैं
२-माध्यम वृन्द :इसमें दो मुख्या गायक,चार सहगायक,छः गायिकाएं होतीं हैं|
३-कनिष्ठ वृंद: इसमें एक मुख्या गायक ,दो सह गायक,तीन गायिकाएं होतीं हैं |
अगर वृन्द में उत्तम वृन्द की अपेक्षा भी कलाकारों की संख्या अधिक हो तो उसे ''कोलाहल''कहा जाता है |
अरे?????????????
Deleteनहीं नहीं....
कोलाहल तो नकारात्मक सा प्रतीत होता है......
जबकि पंडित जी ने गवाया वो तो बड़ा ही मधुर था...आपने भी सुना ही होगा....
वैसे मुझे लगता है संगीत की भाषा में "कोलाहल" अलग और हम बेसुरे लोगों का कोलाहल अलग ही होगा....
:-)
शुक्रिया
अनु पारंपरिक संगीत कि भाषा भी अलग लगेगी और इतने बड़ी संख्या में गवाना एक नया प्रयोजन लगता है ....पारंपरिक नहीं है ...!
Deleteसंगीत में भी बहुत मतभेद होते हैं |पारंपरिक गायक बहुत जल्दी किसी परिवर्तन को मानते नाहीं हैं ...!!
पारंपरिक एकता,राष्ट्र के प्रति प्रेम,समाज की गौरवशाली परम्पराओं का उद्घोष वृन्दगान के द्वारा ही सिद्ध होता है ।
ReplyDeleteसही कहा आपने....
जानकारी परक प्रस्तुति।
सादर।
बहुत आभार संजय जी .
Deleteवृन्दगान में एक विशेष प्रभाव उमड़ता है..
ReplyDeleteप्रत्येक वृन्द में गान कि एकरूपता आवश्यक होती है और सभी कलाकार एक दूसरे को वृन्दगान की प्रकृति और रचना के अनुसार सहारा देते हुए भव्य संगीत की सृष्टी करते हैं|वृन्दगान की स्वर रचना और कलाकारों का चयन उत्सव की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए किया जाता है ,जिससे उत्सव खिल उठे |
Deleteसुमन कल्याणपुरी?
ReplyDeleteवाणी जयराम?
ये नाम तो वृन्दगान में नहीं सुने ....
Deleteऔर पता करती हूँ ....
लगता है मैं ही ग़लत होऊं। सुगम संगीत में इन्हें सुना करते थे।
Deleteमनोज जी सुमन कल्यानपुर और वाणी जयराम तो सुगम संगीत की गायिकाएं हैं |वृन्दगान में सामूहिक गान जैसा होता है |
Deleteबहुत आभार ...!!
ReplyDeleteबहुत प्रभावशाली लिखा है आपने।
ReplyDeleteबहुत आभार ...!!
ReplyDeleteसंक्षेप में अच्छा ज्ञानवर्द्धन किया आपने।
ReplyDeleteबहुत आभार |
Deleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया,"राजपुरोहित समाज" आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ
,एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से सभी को भगवन महावीर जयंती, भगवन हनुमान जयंती और गुड फ्राइडे के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ॥
आपका
सवाई सिंह{आगरा }
बहुत आभार |
Deleteजब लीन मगन मन सुर साधूँ ....
ReplyDeleteतुममे खो जाऊं ...
आरोहन -अवरोहन सम्पूरण ......!!
अब रात्री का प्रथम प्रहर..
हरी भजन में ध्यान लगाऊँ .....!!
BEAUTIFUL LINES WITH DEVOTION AND DEDICATION.
आभार .
Deleteअच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteबहुत आभार .
Deleteअनुपमा जी मुझे वाद्य-वृन्द के बारे मैं जानकारी चाहिए
ReplyDeleteआपसे अनुरोद हे की कुछ वाद्यवृंद के बारे मैं समझाए