ज्ञान विज्ञानं से परिपूर्ण मानव जगत में नित नए प्रयोग हो रहे हैं |जब ये प्रयोग जीवन के विभिन्न अंग बन जाते हैं ,तब मानव फिर अभिनव अनुसन्धान में प्रवृत्त हो जाता है |यद्यपि संगीत स्वयं एक विज्ञानं है ,किन्तु अभी इसकी सिद्धी के लिए वर्षों की तपस्या अपेक्षित है |इधर कुछ समय से वैज्ञानिकों का ध्यान संगीत की ओर गया है ,किन्तु संगीत के क्रियात्मक ज्ञान के आभाव के कारण हर वैज्ञानिक इस ओर ध्यान नहीं दे सकता
संसार परमाणु की सत्ता स्वीकार कर चुका है और नाद के गुण से भी वो परिचित है |किन्तु नाद कि विलक्षण शक्ति अभी अप्रकट है |जिस दिन वो प्रकट हो जायेगी ,संसार एकमत से संगीत को सर्वोपरि विज्ञानं स्वीकार कर लेगा |अणु और परमाणु का अस्तित्व उसके समक्ष नगण्य हो जायेगा |प्राचीन काल में ध्वनि के भौतिक प्रभाव पर जो प्रयोग किये गए थे ,वे आज केवल किंवदंती के रूप में अवशिष्ट हैं |किन्तु जो भी उन किंवदंतियों सुनता है ,वह भविष्य में उनकी सफलता के लिए आज के वैज्ञानिक उत्कर्ष को देख कर आस्थावान हो जाता है |हमारे प्राचीन आचार्य और महर्षियों ने हाइड्रोजन बम निश्चय ही नहीं बनाये थे ,किन्तु ध्वनि विज्ञानं पर उन्होंने जो विचार व्यक्त किये थे,वे आज भी कसौटी पर खरे उतरते हैं |नाद की शक्ति पर विवेचन करने वाले अनेक ग्रन्थ आज लुप्त हैं |
क्रमशः .........
संसार परमाणु की सत्ता स्वीकार कर चुका है और नाद के गुण से भी वो परिचित है |किन्तु नाद कि विलक्षण शक्ति अभी अप्रकट है |जिस दिन वो प्रकट हो जायेगी ,संसार एकमत से संगीत को सर्वोपरि विज्ञानं स्वीकार कर लेगा |अणु और परमाणु का अस्तित्व उसके समक्ष नगण्य हो जायेगा |प्राचीन काल में ध्वनि के भौतिक प्रभाव पर जो प्रयोग किये गए थे ,वे आज केवल किंवदंती के रूप में अवशिष्ट हैं |किन्तु जो भी उन किंवदंतियों सुनता है ,वह भविष्य में उनकी सफलता के लिए आज के वैज्ञानिक उत्कर्ष को देख कर आस्थावान हो जाता है |हमारे प्राचीन आचार्य और महर्षियों ने हाइड्रोजन बम निश्चय ही नहीं बनाये थे ,किन्तु ध्वनि विज्ञानं पर उन्होंने जो विचार व्यक्त किये थे,वे आज भी कसौटी पर खरे उतरते हैं |नाद की शक्ति पर विवेचन करने वाले अनेक ग्रन्थ आज लुप्त हैं |
विज्ञानं द्वारा ये सिद्ध हो गया है कि द्रव्य (मैटर )और शक्ति (एनर्जी ),ये दोनों एक ही वस्तु हैं |मैटर को एनर्जी और एनर्जी को मैटर में परिवर्तित किया जा सकता है ,अर्थात परम तत्व एक ही है |अतः शब्द का प्रभाव बड़ा विलक्षण है |जिस प्रकार मिटटी का गुण 'गंध ' और अग्नि का गुण 'उष्णता ' है ,उसी प्रकार आकाश का गुण 'शब्द 'है |वह सदा आकाश में विद्यमान रहता है ।इस सत्य को जान लेने पर कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि वे शीघ्र ही किसी उपकरण की सहायता से तानसेन का गायन और भगवन श्री कृष्ण के मुख से कही गई गीता को आकाश से ग्रहण कर उन्हीं की आवाज़ में सुनवा सकेंगे ।
क्रमशः .........
ध्वनि का सुप्रभाव एक सिद्ध प्रमाण है।
ReplyDeleteवैज्ञानिक व्याख्या सहित आपने संगीत की शक्ति पर जो प्रकाश डाला है वह काफ़ी रोचक है।
ReplyDeleteह्म्म्म्म्म्म
ReplyDeleteकुछ अलग सी पोस्ट.....
ज़रा और पढूं फिर कुछ कहूँगी.......
:-)
ati rachak jankari........
ReplyDeleteuseful post....
ReplyDeleteरोचक पोस्ट प्रस्तुति ..मस्तिष्क विज्ञानियों ने मानव मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को चिन्हित कर लिया है जो संगीत से उद्वेलित होते हैं और अब धीरे धीरे कई मानसिक व्याधियों की संगीत चिकित्सा के प्रयोग परीक्षण चल रहे हैं ...वस्तुतः इसमें कोई दो राय नहीं कि संगीत का मानव मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है ....जिसमें सुख दुःख के भाव उद्वेलित करने की भरपूर क्षमता है -खासकर भारतीय क्लासिकल राग रागनियाँ इस दिशा में चिकित्सा विज्ञान अध्ययन का एक उर्वर क्षेत्र हैं और अध्येताओं का ध्यान देर ही सही अब इस और गया है !
ReplyDeleteउजास उछाह की इस अद्भुत आध्यात्म यात्रा में साथ ले चलने का आभार !
ReplyDeleteसही कहा अनुपमा जी..जिस दिन नाद का डंका बजेगा उस दिन संगीत की विलक्षण शक्ति सम्पूर्ण संसार ्को चकाचौध कर देगा.....आभार..
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