आज रात चाँद को पुकारती रही
व्योम मंच पर न किन्तु चाँद आ सका
बादलों की ओट में कहीं रहा छिपा
दामिनी प्रकाश पुंज वारती रही ....
आज रात चाँद को पुकारती रही ...
देखती रही खड़ी नयन पसार कर ...
है वियोग ही मिला सदैव प्यार कर ...
तारकों से आरती उतरती रही ...
आज रात चाँद को पुकारती रही ...
हो गई उदास और रात रो पड़ी....
वारने लगी अमोल अश्रु की लड़ी ...
दूर से खड़ी उषा निहारती रही ...
आज रात चाँद को पुकारती रही ....
*****************************************************
शोभा श्रीवास्तव का लिखा ये गीत .....
अब सुनिए मेरी आवाज़ में.......
कृपया ईयर फोन से सुने अन्यथा आवाज़ बिखरती है ....
बादलों की ओट में कहीं रहा छिपा
दामिनी प्रकाश पुंज वारती रही ....
आज रात चाँद को पुकारती रही ...
देखती रही खड़ी नयन पसार कर ...
है वियोग ही मिला सदैव प्यार कर ...
तारकों से आरती उतरती रही ...
आज रात चाँद को पुकारती रही ...
हो गई उदास और रात रो पड़ी....
वारने लगी अमोल अश्रु की लड़ी ...
दूर से खड़ी उषा निहारती रही ...
आज रात चाँद को पुकारती रही ....
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शोभा श्रीवास्तव का लिखा ये गीत .....
अब सुनिए मेरी आवाज़ में.......
कृपया ईयर फोन से सुने अन्यथा आवाज़ बिखरती है ....
खूबसूरत शब्दों को खूबसूरत आवाज का साथ मिला ................
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर अनुपमा जी.....
ReplyDeleteआनंद आया ..
अनु
मधुर...शब्द भी और गायन भी । सुन्दर अनुपमा जी ।
ReplyDeleteसुंदर आवाज़ ... सुंदर शब्द ... बहुत बधाई ...
ReplyDeletewww.reverbnation.com/pkkush
खूबसूरत आवाज़ में मधुर विरह गीत....
ReplyDeleteसाभार....
भावपूर्ण गायन और संयमित मीठा स्वर। शुक्रिया आपकी टिपण्णी का।
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति....
ReplyDeletebahut sundar ...anupama jee ..
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