नमस्कार आपका स्वागत है

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Tuesday, July 23, 2013

कैसी बाज रही कान्हा की बांसुरिया .......!!!

बरखा की बुंदियां बरस रही हैं ......
ठंडी पावन बह रही है ....
पत्ते मानो करतल ध्वनि से इस मौसम का स्वागत कर रहे हैं .......
धरा मे कुछ नवीनता का संचार हो रहा है ..........
पाखी हैं कि भीग भीग कर कलाबाज़ियाँ कर रहे हैं ....
इन्हीं पाखियों के साथ मेरा मन उड़ा जा रहा है ....
 अनंत  उड़ान है ये ....
वर्षा में भीगती हुई ......
न जाने कहाँ जा रही हूँ मैं ......
कोई दैविक शक्ति निरंतर अपनी ओर खींच रही है ....
बेबस खींची चली जा रही हूँ मैं ....
अचरज है .....कानो में सुनाई दे रहा है .....कुछ सुकून भरा संगीत ....
जैसे कान्हा बासुरी बाजा रहे हैं ......

क्या आप भी सुन पा रहे हैं ....या मेरा ही भ्रम है .....????????



Friday, July 19, 2013

आज रात चाँद को पुकारती रही................

आज रात चाँद को पुकारती रही
व्योम मंच पर न किन्तु चाँद आ सका
बादलों की ओट में कहीं रहा छिपा
दामिनी प्रकाश पुंज वारती रही ....
आज रात चाँद  को पुकारती रही ...

देखती रही खड़ी नयन पसार कर ...
है वियोग ही मिला सदैव  प्यार कर ...
तारकों से आरती उतरती रही ...

आज रात चाँद को पुकारती रही ...

हो गई उदास और रात रो पड़ी....
वारने लगी अमोल अश्रु की लड़ी ...
दूर से खड़ी उषा निहारती रही ...
आज रात चाँद को पुकारती रही ....

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शोभा श्रीवास्तव का लिखा ये गीत .....
अब सुनिए मेरी आवाज़  में.......
कृपया ईयर फोन से  सुने अन्यथा आवाज़ बिखरती है ....

Saturday, July 6, 2013

वर्षा ऋतु-राग मियां मल्हार ....(.1.)....!!!


इस वर्षा ऋतु मे आपको राग मल्हार के बारे मे विस्तृत जानकारी दूँगी और इसी राग की अनेक बन्दिशें सुनवाऊंगी |
आप जानते ही होंगे राग मिया मल्हार वर्षा ऋतु का राग है |वर्षा ऋतु मे आप इसे किसी भी समय गा -बजा सकते हैं |

नदी हूँ मैं....
गिरती है ये बरसात
कुछ इस क़दर मुझ पर ...
भीगती  हूँ भरी बरसात रो भी लेती  हूँ ...

O 


मिल जाता है इसी बरखा में
मेरे आंसुओं का खारा  पानी .........
और इस तरह ...
पहुँच ही जाती है मेरी सदा  समुंदर तक ......


संवेग ,संवेदन और सिद्धान्त का ज्ञान रखने वाला कलाकार सदैव सफल रहता है ,क्योंकि उसका संगीत श्रोता को तन्मय करने की क्षमता रखता है |

राग मियां मल्हार मेँ स्वरों का प्रयोग इस प्रकार है ...........कि सुन कर ही बारिश का सा एहसास होता है ......मन भीग जाता है ....!!
म ...रे ...प $$$$$$  ग    $$$$$$$  म रे सा ....!!

नि$$$  ध  नी सा .....!!

इस प्रकार स्वरों  का प्रयोग किया जाता है ....!!






बंदिश सुनिए और बरखा का आनंद लीजिये ....

आभार .....